डीजल-पेट्रोल को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार उठायेगी ये कदम, पढ़े पूरी खबर

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पीटीआइ। सरकार का कहना है कि वह आम आदमी के हितों की रक्षा के लिए ईंधन की कीमतों को नियंत्रण में रखने के वास्ते ‘सुनियोजित हस्तक्षेप’ करेगी। सरकार की नजर उभरती हुई भू-राजनीतिक गतिविधियों पर भी है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, ईंधन और बिजली उपसमूह का कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से सीधा संबंध है। 

क्या सरकार यूक्रेन के संकट के कारण ईंधन की कीमतों में वृद्धि को बनाए रखने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती करेगी, इस सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर उचित निर्णय लेती हैं। उनके अंतरराष्ट्रीय उत्पाद की कीमतों, विनिमय दर, कर संरचना, अंतर्देशीय भाड़ा और अन्य लागत तत्वों आदि के साथ यह निर्णय लिया जाता है।

उन्होंने कहा, सरकार इन कारकों और विकसित हो रहे भू-राजनीतिक घटनाक्रमों पर कड़ी नजर रख रही है और आम आदमी के हितों की रक्षा के लिए जब भी जरूरत होगी, कैलिब्रेटेड हस्तक्षेप करेगी। भारत अपनी तेल आवश्यकता का लगभग 85 प्रतिशत आयात से पूरा करता है, इसके लिए देश को विदेशी खरीद पर निर्भर रहना होता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कच्चे तेल की कीमतें पिछले सप्ताह की शुरुआत में 140 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थीं। तब से कीमतें गिरी हैं और अब 102 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गई हैं। ईंधन की महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए किए गए उपायों का विवरण देते हुए, मंत्री ने कहा कि 4 नवंबर, 2021 से पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में क्रमशः 5 रुपये प्रति लीटर और 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी। कई राज्य सरकारों ने पेट्रोल और डीजल पर वैल्यू एडेड टैक्स भी कम किया है।

इसका असर ये हुआ कि देश भर में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में गिरावट आई। चौधरी ने कहा, आम आदमी के हितों की रक्षा के लिए, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के बावजूद, नवंबर 2021 से डीजल और पेट्रोल की खुदरा कीमतों में संशोधन नहीं किया गया है।

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