600 भारतीय छात्र तिरंगा झण्डा लहराते हुए रूसी सेना के बीच से पैसोचीन पहुँचे
रानीखेत अल्मोड़ा : तिरंगे की ताकत का एहसास देश में रहते हुए नहीं पता थी। पर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो हमें भारतीय दूतावास से एडवायजरी मिली के बस के शीशे पर यात्रा के समय तिरंगा जरूर चस्पा करें या पैदल चलते समय हाथ में तिरंगा हो। हमने युद्धग्रस्त इलाके से रूसी सैनिकों के बीच से तिरंगा लहराते हुए आराम से गुजरे। रूसी सैनिकों ने हमे सम्मान से जाने दिया। रानीखेत निवासी छात्र कार्तिकेय दीक्षित ने बताया कि इस दौरान हम सबके आंखों में आ़सूं थे। हमें अपने तिरंगे की असली पावर इस तरह से पता चली।
यूक्रेन में भीषण युद्ध के बीच रूसी सेना भारतीय छात्रों की सुरक्षा को बेहद संजीदा है। खासतौर पर तिरंगे को पूरा सम्मान दिया जा रहा। भारतीय दूतावास खारकीव छोडऩे संबंधी इमर्जेंसी एडवाइजरी के बाद करीब 600 मेडिकल छात्र जोखिम के बीच करीब 18 किमी का पैदल सफर तय कर खारर्कीव सीमा स्थित वारजोन को पार कर पेसोचीन पहुंच गए हैं। रानीखेत के मेडिकल के छात्र कार्तिकेय दीक्षित ने बताया कि साथी छात्रों के साथ कई दिनों तक यूनिवर्सिटी के बंकरनुमा कमरे में रहे।
गोविंद सिंह माहरा नागरिक चिकित्सालय में तैनात पिता वरिष्ठ चिकित्सक डा. संदीप कुमार दीक्षित से लगातार संपर्क के दौरान कार्तिकेय ने बताया कि अब अपने साथी छात्रों के साथ जैसे तैसे लंबा सफर तय कर खारकीव के युद्धक्षेत्र से बाहर निकल सुरक्षित जोन में बने शैल्टरहोम में पहुंच गए हैं। खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस (प्रथम वर्ष) के छात्र कार्तिकेय के अनुसार रूसी सेना भारतीय छात्रों की पूरी मदद कर रही है। जहां कहीं भी तिरंगा थामे लोग दिखाई दे रहे, उन्हें सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।
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