बिग ब्रेकिंग:यहां ईद के मौके पर दो हिंदू बहनों ने मुस्लिम भाइयों को अपनी जमीन देकर हिंदू मुस्लिम सिख इसाई आपस में सब भाई भाई की मिसाल कायम की जरूर पढ़ें: ब्यूरो चीफ अजय अनेजा की खास रिपोर्ट

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अजय अनेजा

देश के तमाम हिस्सों में इन दिनों जहां धार्मिक उन्माद की खबरें अमन पसंद लोगों का चैन छीन रहीं हैं। छोटी-छोटी बातों पर लोग आमने-सामने आ रहे हैं, वहीं दो हिंदू बहनों ने ईद से ठीक पहले मुस्लिम भाइयों को तोहफा दिया है।

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर दो हिंदू बहनों ने मुस्लिम भाइयों को ईद का तोहफा दिया है। उन्होंने अपने दिवंगत पिता की इच्छा के अनुरूप करीब चार बीघा जमीन ईदगाह के विस्तारीकरण के लिए दान दे दी है। दोनों विवाहित बहनों के पारिवारिक सदस्यों ने काशीपुर पहुंचकर ईदगाह कमेटी को जमीन का कब्जा दे दिया है।

कमेटी ने बुनियाद खुदवाकर बाउंड्री का काम भी शुरू कर दिया है। इस जमीन का बाजार भाव डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक आंका गया है। देश के तमाम हिस्सों में इन दिनों जहां धार्मिक उन्माद की खबरें अमन पसंद लोगों का चैन छीन रहीं हैं। छोटी-छोटी बातों पर लोग आमने-सामने आ रहे हैं, वहीं दो हिंदू बहनों ने ईद से ठीक पहले मुस्लिम भाइयों को तोहफा देकर समाज के सामने एक उदाहरण पेश किया है।

काशीपुर के ईदगाह मैदान के पास लाला ब्रजनंदन प्रसाद रस्तोगी के परिवार की कृषि जमीन है। इस जमीन पर खाता संख्या 827 (1) व (2) का करीब चार बीघा रकबा ईदगाह की बाउंड्री से सटा हुआ है। इस हिस्से को शामिल करने की स्थिति में ईदगाह का स्वरूप आयताकार हो जाता है। ब्रजनंदन इस जमीन को ईदगाह के लिए दान करने के इच्छुक थे, लेकिन यह रकबा उनकी दोनों बेटियों सरोज रस्तोगी और अनीता रस्तोगी के नाम पर था

शादीशुदा बेटियों से जमीन ईदगाह को देने के बारे में नहीं कह सके थे इस कारण वह चाहकर भी शादीशुदा बेटियों से जमीन ईदगाह को देने के बारे में नहीं कह सके। हालांकि उन्होंने अपनी इस मंशा का जिक्र पूर्व सांसद सत्येंद्र चंद्र गुड़िया से किया था। ब्रजनंदन प्रसाद रस्तोगी के ईदगाह कमेटी के ओहदेदारानों से करीबी ताल्लुकात थे। वह हर साल ईदगाह के लिए चंदा देते थे। अन्य माध्यमों से भी ईदगाह कमेटी की मदद करते थे। 25 जनवरी 2003 को ब्रजनंदन रस्तोगी का निधन हो गया। उनके निधन के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। पिता की इच्छा जानी तो जमीन दान करने की ठानीबाद में बेटियों सरोज रस्तोगी और अनीता रस्तोगी को पिता की इच्छा के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने जमीन दान करने की ठान ली। भाई राकेश रस्तोगी की मदद से कमेटी के सदर हसीन खान से संपर्क कर ईदगाह से सटी जमीन दान करने की इच्छा जताई। वर्तमान में सरोज का परिवार मेरठ और अनीता का परिवार दिल्ली में रहता है। दोनों बहनों की सहमति पर सरोज के पति सुरेंद्रवीर रस्तोगी और बेटे विश्ववीर रस्तोगी के साथ ही अनीता के बेटे अभिषेक रस्तोगी रविवार को काशीपुर पहुंचे।इच्छा का किया सम्मान समाजसेवी पुष्ष अग्रवाल, राकेश रस्तोगी, ईदगाह के सदर हसीन खान की मौजूदगी में हलका लेखपाल को बुलाकर जमीन की पैमाइश कराई गई और ईदगाह से सटी जमीन पर कमेटी को कब्जा दे दिया गया। दोनों बहनों के परिजनों ने कहा कि उन्होंने दिवंगत ब्रजनंदन रस्तोगी की इच्छा का सम्मान किया है।

काशीपुर शहर कौमी एकता की मिसाल काशीपुर शहर कौमी एकता की मिसाल हैं। यहां हर पर्व मिलजुल कर मनाने की परंपरा है। हमारी बहनों सरोज रस्तोगी और अनीता रस्तोगी ने ईदगाह के विस्तार के लिए चार बीघा जगह दी है जो ईदगाह की बाउंड्री से पश्चिम की ओर जाने वाले रास्ते तक है। मैं पूरी कौम की ओर से उनका तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं और उम्मीद करता हूं कि आगे भी सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ रहेंगे। – हसीन खान, सदर ईदगाह कमेटी।

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