बड़ी खबर: यहां अनेक स्कूलों में एनसीईआरटी के अलावा चलाई जा रही है प्राइवेट किताबें: मुक दर्शक शिक्षा विभाग

ख़बर शेयर करें

अजय अनेजा।

हल्द्वानी। लालकुआ-कुछ प्राइवेट स्कूल एनसीईआरटी की किताबों को दरकिनार कर निजी पब्लिशर्स की किताबें मंगवा रहे हैं, ऐसे में अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। कई स्कूलों ने किताबें लेने के लिए दुकानें भी फिक्स की हैं। इससे अभिभावकों की परेशानी बढ़ गई है।

कक्षा एक से पांचवीं कक्षाओं के बच्चों के लिए एनसीईआरटी की किताबों का सेट 195-260 रुपये में उपलब्ध है। इन कक्षाओं की निजी पब्लिकेशन की किताबों का सेट 1500-2000 रुपये में मिल रहा है। निजी स्कूलों ने अपने-अपने पब्लिकेशन तय किए हैं। स्कूलों के माध्यम से चुनीं गईं दुकानों में ही यह किताबें मिल रही हैं। हालांकि कुछ स्कूलों ने किताबों के मामलों में छात्र-छात्राओं को छूट दे रखी है। प्राइवेट स्कूूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की किताबें स्कूलों की ओर से तय दुकानों पर ही मिल रही हैं। कुछ स्कूलों ने खास कॉपियों का इस्तेमाल करने के लिए कहा है। ऐसी कॉपियों के दाम सामान्य कॉपियों से अधिक हैं।

नर्सरी, यूकेजी, एलकेजी के बच्चों की किताबें भी महंगी
प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी के बच्चों की किताबों का सेट भी काफी महंगे दामों में आ रहा है। बरेली रोड, नैनीताल रोड के बुक सेलरों ने बताया कि उनके यहां नर्सरी की किताबों का सेट कम से एक हजार रुपये का है। एलकेजी और यूकेजी के बच्चों की किताबों का सेट 1500-2000 रुपये में मिल रहा है।
एनसीईआरटी की सभी किताबें उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। इस कारण बच्चों को निजी पब्लिकेशन की किताबें खरीदनी पड़ रही हैं। प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को एनसीईआरटी में सभी विषयों की किताबें नहीं मिल पाती हैं।
कैलाश भगत, अध्यक्ष, पब्लिक स्कूल एसोसिएशन।
एनसीईआरटी की सभी किताबें उपलब्ध हैं। कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों की किताबों का सेट 195-260 रुपये का है। हमारे पास सभी कक्षाओं की किताबें उपलब्ध हैं। एनसीईआरटी की किताबों के दाम भी नहीं बढ़े हैं।

गोपी गर्ग बुक सेलर

प्राइवेट स्कूलों की किताबों के सेट अलग-अलग मूल्य के हैं। स्कूलों से मिली लिस्ट के आधार पर बच्चे किताब खरीदने आ रहे हैं। कुछ स्कूलों की किताबों का सेट महंगा बन रहा है। किताबों के मूल्य में 10-15 प्रतिशत का इजाफा हो गया है। स्टेशनरी के दाम भी बढ़ गए हैं।

Ad
Ad