चंदन हॉस्पिटल ने रचा इतिहास, जटिल हृदय रोगों के इलाज में नई मिसाल – तीन गंभीर केस सफल, मरीजों को मिली नई जिंदगी

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हल्द्वानी के चंदन हॉस्पिटल के इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक साइंसेज ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि विश्वस्तरीय इलाज अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं है। अत्याधुनिक तकनीक, विशेषज्ञों की टीम और समय पर निर्णय के दम पर हॉस्पिटल ने हाल ही में तीन बेहद जटिल हृदय रोग के मामलों में सफलता पाई। खास बात यह है कि ये सभी सर्जरी आयुष्मान भारत योजना के तहत पूरी तरह निशुल्क की गईं।

पहला मामला: एब्डॉमिनल एऑर्टिक एन्यूरिज्म का चमत्कारिक इलाज

70 वर्षीय मरीज को मल्टीवेसल कोरोनरी आर्टरी डिजीज के कारण कार्डियक बायपास (CABG) की तैयारी चल रही थी। जांच के दौरान मरीज के पेट में 9.5 सेंटीमीटर का एब्डॉमिनल एऑर्टिक एन्यूरिज्म पाया गया, जो कॉमन इलीएक आर्टरीज तक फैला था। ऐसे जटिल मामले में ओपन सर्जरी का रिस्क बहुत अधिक था। डॉक्टरों की टीम ने आधुनिक तकनीक EVAR (एंडोवास्कुलर एन्यूरिज्म रिपेयर) का सहारा लिया और स्टेंट-ग्राफ्ट से एन्यूरिज्म को ब्लड फ्लो से अलग कर दिया। मरीज ऑपरेशन के उसी दिन चलने लगा और 48 घंटे के भीतर डिस्चार्ज हो गया। इस सफलता का श्रेय डॉ. विकास सिंह, डॉ. रवि (हेड, कार्डियक एनेस्थीसिया) और डॉ. वृशित सारस्वत (चेयरपर्सन, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी) को जाता है।

दूसरा मामला: जटिल ओपन हार्ट सर्जरी से मिली नई जिंदगी

38 वर्षीय जयंती देवी, जो लंबे समय से रुमेटिक हृदय रोग से पीड़ित थीं, गंभीर स्थिति में चंदन हॉस्पिटल पहुंचीं। उन्हें सीवियर माइट्रल स्टेनोसिस, ट्राइकसपिड रिगर्जिटेशन और क्रॉनिक एट्रियल फिब्रिलेशन की समस्या थी। वेंटिलेटर सपोर्ट पर लाने के बाद डॉ. विकास सिंह और टीम ने जटिल ओपन हार्ट सर्जरी की। इसमें माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट, ट्राइकसपिड वॉल्व रिपेयर, इन्ट्रा-कार्डियक क्लॉट्स हटाना और लेफ्ट एट्रियल अपेंडेज का लिगेशन शामिल था। मरीज चार दिन में बिना किसी जटिलता के डिस्चार्ज हो गईं। यह सर्जरी भी पूरी तरह निशुल्क हुई।

तीसरा मामला: 2 साल के बच्चे की जान बचाने वाली जोखिमभरी सर्जरी

सबसे भावुक मामला 2 साल के बच्चे का था, जिसका वजन मात्र 7 किलो था और जिसे ट्राइकसपिड एट्रेसिया नामक दुर्लभ हृदय दोष था। उसकी जान केवल दो छोटे छिद्रों (ASD और VSD) पर टिकी थी। अचानक बच्चे की ऑक्सीजन 45% तक गिर गई और कार्डियक अरेस्ट हो गया। डॉ. मुनीब (हेड, इमरजेंसी) और टीम ने 30 मिनट तक CPR करके जान बचाई। स्थिति को देखते हुए डॉ. विकास सिंह, डॉ. रवि कुमार महावर और बाल रोग विशेषज्ञ टीम (डॉ. अमित और डॉ. पियूष) ने BD Glenn सर्जरी का निर्णय लिया। यह सर्जरी बेहद जोखिमभरी थी, लेकिन चंदन हॉस्पिटल ने इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया। कुछ दिनों की निगरानी के बाद बच्चा स्वस्थ होकर घर लौटा।

चंदन हॉस्पिटल – उम्मीद की नई किरण

इन तीनों सफल सर्जरी ने यह साबित किया है कि हल्द्वानी में भी अब मेट्रो सिटी स्तर की हृदय चिकित्सा उपलब्ध है। इस उपलब्धि में चंदन इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक साइंसेज के चेयरपर्सन डॉ. गौरव यादव सहित डॉक्टरों, नर्सों, एनेस्थेटिस्ट, इमरजेंसी और ICU टीम का योगदान सराहनीय है। यह केवल इलाज की कहानियां नहीं हैं, बल्कि विश्वास, करुणा और साहस की मिसालें हैं। चंदन हॉस्पिटल ने दिखा दिया है कि—
“हर जीवन अनमोल है, और हम उसे बचाने के लिए तैयार हैं।”