हाईकोर्ट ने निरस्त किया हल्द्वानी रेलवे भूमि पर अतिक्रमणकारियों का संशोधन पत्र, जाने पूरा मामला

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हाई कोर्ट नैनीताल ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने अतिक्रमणकारियों की तरफ से दायर संशोधन प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया है।

कोर्ट ने कहा कि 2019 में कोर्ट ने आदेश दिया था कि यह पब्लिक परमिशन एक्ट के तहत भी नहीं आते हैं, जो आते हैं, रेलवे उन्हें नोटिस जारी कर सुने। उसके बाद उन्होंने रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है।

सोमवार को अतिक्रमणकारियों की ओर से आदेश में संशोधन प्रार्थना पत्र कोर्ट में दिया गया, जिसे कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका में पूरे दिन सुनवाई की, जो मंगलवार को भी जारी रहेगी।

नौ नवंबर 2016 को हाई कोर्ट ने गौलापार हल्द्वानी के रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 सप्ताह के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं, उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुनवाई करें।

सुनवाई में किसी के पास नहीं मिले वैध कागज

रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, जिसमें करीब 4365 परिवार मौजूद हैं। हाई कोर्ट के आदेश पर इन लोगों को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया। जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए।

सुप्रीम कोर्ट के भी निर्देशों का उल्लंघन

इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिला अधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दिया गया, जिस पर आज तक कोई उत्तर नहीं दिया गया जबकि दिसम्बर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगों को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगों को छह सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं ताकि रेलवे का विस्तार हो सके।

स्रोत इंटरनेट मीडिया

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