उत्तराखंड के इस हिल स्टेशन पर भू-धंसाव का खतरा 500 घरों में पड़ी दरार, जाने पूरा मामला

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Landslide in Joshimath : चीन सीमा से सटे चमोली जिले के जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को लेकर सरकार गंभीर हो गई है। क्षेत्र की सर्वेक्षण रिपोर्ट मिलने के बाद अब जोशीमठ के ड्रेनेज सिस्टम पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

शासन ने सिंचाई विभाग को शीघ्र ही यहां का ड्रेनेज प्लान व इसकी डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करने के निर्देश दिए हैं। यही नहीं, जोशीमठ के सीवर सिस्टम से जुड़े कार्यों को जल्द पूर्ण कराकर सभी घरों को सीवर लाइन से जोड़ने के निर्देश संबंधित विभाग को दिए गए हैं।

इसके अलावा जोशीमठ का जियो टेक्निकल अध्ययन भी सरकार कराने जा रही है। इसके आधार पर प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी संरचनाओं के निर्माण पर रोक लगाई जा सकती है।

पांच सौ से ज्यादा भवनों में दरारें पड़ने से लोग भयभीत

जोशीमठ शहर लंबे समय से भू-धंसाव की जद में है। इसके चलते पांच सौ से ज्यादा भवनों में दरारें पड़ने से लोग भयभीत हैं। 10 से ज्यादा भवन स्वामियों के अपने घर छोड़कर अन्यत्र जाने की बात भी सामने आई है। दैनिक जागरण इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाता रहा है। जोशीमठ पर मंडराते इस खतरे को देखते हुए सरकार भी गंभीर हुई है।

सरकार ने इसी वर्ष अगस्त में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, आइआइटी रुड़की, सीबीआरआइ रुड़की, जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के विज्ञानियों की टीम गठित कर जोशीमठ का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया। सितंबर में विज्ञानियों ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी। सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत सिन्हा ने हाल में अधिकारियों के साथ इस विषय पर मंथन किया था।

शासन ने विज्ञानियों की रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ के ड्रेनेज सिस्टम पर ध्यान केंद्रित किया है। सिंचाई विभाग को इसका प्लान व डीपीआर शीघ्र बनाने के साथ ही नदी से हो रहे भू-कटाव के मद्देनजर सुरक्षा दीवार की डीपीआर तैयार करने को भी कहा गया है। इसके अलावा क्षेत्र का जियो टेक्निकल अध्ययन, प्रभावितों के पुनर्वास समेत अन्य बिंदुओं पर भी जल्द ही कदम बढ़ाए जाएंगे।

विज्ञानियों ने दिए थे ये सुझाव

  • जोशीमठ के ड्रेनेज व सीवर सिस्टम पर किया जाए ध्यान केंद्रित
  • नदी से हो रहे भू-कटाव की रोकथाम को उठाए जाएं कदम
  • शहर के निचली ढलानों पर स्थित परिवारों का हो विस्थापन
  • प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर लगाई जाए रोक
  • बड़ी संरचनाओं का निर्माण इस क्षेत्र के लिए हो सकता है जोखिमपूर्ण

स्रोत इंटरनेट मीडिया

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