जनमन जागरण अभियान शिक्षा: स्कूलों के खुलने के बाद कम हो रहा बच्चों में तनाव

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अजय अनेजा।

लाल कुआं हल्दुचौङ। कोरोना काल के दौरान लंबे समय तक बच्चों में घर में रहकर ऑनलाइन पढ़ाई की। संक्रमण के दौर में घर से बाहर निकलने पर लगी पाबंदी के कारण कई बच्चों में मानसिक तनाव की शिकायतें आईं। अब स्कूल खुलने के बाद बच्चों तनाव भी धीरे धीरे खत्म होने लगा है। इससे अभिभावकों की बड़ी चिंता दूर हुई है। अभिभावकों की मानें तो स्कूल खुलने के बाद बच्चों के मोबाइल की आदत भी कुछ कम हुई है। विशेषज्ञ भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि स्कूल खुलने के बाद बच्चों का तनाव कम हुआ है।-

क्या कहते हैं अभिभावककोरोना काल के दौरान बच्चे खासे तनाव में आने लगे थे लेकिन अब जब से स्कूल खुल रहा है तब से बच्चे सामान्य जीवन में लौटने लगे हैं। स्कूल खुलने के बाद बच्चे घर से निकलकर न केवल स्कूल में दोस्तों से मिल रहे हैं। इससे उनका तनाव धीरे धीरे कम हो रहा है।भावना रावत अभिभावकस्कूल खुलने के बाद बच्चों का मानसिक तनाव कम हुआ है। उनके व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। बच्चों का चिड़चिड़ापन भी कम हुआ है। धीरे धीरे सभी बच्चों का व्यवहार ठीक उसी तरह हो जाएगा जैसा कि लाक डाउन से पहले था।

– भूपेंद्र सिंह बिष्ट अभिभावक- क्या कहते हैं शिक्षकलंबे समय बाद स्कूल खुले तो बच्चों को देर तक स्कूल में बिठाए रखना सही नहीं था। इसलिए शुरू में स्कूल की टाइमिंग कम की गई। अब धीरे धीरे पुरानी टाइमिंग को लागू किया गया है। बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद का भी समय दिया जा रहा है ताकि उन पर पढ़ाई का दबाव न बने।

राखी साह प्रधानाचार्याकोरोना काल में लंबे समय तक घरों में रहे बच्चे स्कूल खुलने के बाद से खासे उत्साहित हैं। स्कूल में पढ़ाई के साथ साथ वह अलग अलग गतिविधियों में हिस्सा ले रहे हैं। इससे उनका मानसिक तनाव तो कम हो ही रहा है साथ ही वह पढ़ाई में भी अधिक ध्यान दे रहे हैं।

हिमांशु पांडे मित्र शिक्षकक्या कहते हैं बच्चेसीनियर कक्षाओं के बच्चों में तनाव कम देखने को मिला। सीनियर कक्षाओं के बच्चे किसी न किसी रूप में लॉकडाउन के दौरान भी पढ़ाई कर रहे थे। कुछ बच्चों में तनाव था लेकिन अब स्कूल खुलने के बाद सभी बच्चे धीरे धीरे सामान्य होकर पढ़ाई में रुचि ले रहे हैं।-

स्मृति पांडे छात्रालॉकडाउन के दौरान जब ऑनलाइन पढ़ाई हो रही थी तब हमारे पास एंड्रोइड मोबाइल नहीं था। जिस कारण बहुत दिक्कतें हो रही थी। मैं कुछ नहीं कर पाती थी जिसके कारण खासा तनाव रहता था। लेकिन अब स्कूल खुलने के बाद मैने मेहनत से पढ़ाई की और सातवीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया।- शिवानी छात्रा-क्या कहते हैं

मनोचिकित्सकबच्चों के लिए पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद भी जरूरी हैं। कोरोना काल के दौरान बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई तो की लेकिन खेल गतिविधियों में वह हिस्सा नहीं ले सके और पूरे पूरे दिन घरों में ही कैद रहे। जिससे उनका स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगा और कई बच्चे मानसिक तनाव में भी आए। अब बच्चों में अब मानसिक तनाव नहीं है। यदि किसी बच्चे में मानसिक तनाव नजर आए तो उसके साथ बैठकर उसे जानने का प्रयास करें। स्कूल में शिक्षक बच्चों की नियमित रूप से काउंसिलिंग करे।डॉ. गिरीश पांडे मनोचिकित्सक

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