महाशिवरात्रि विशेष- पढ़ें आखिर क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि पर्व

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महाशिवरात्रि पर उत्तराखंड के शिवालयों में श्रद्धालुओं का सुबह से ही तांता लग गया। महादेव का जलाभिषेक करने के लिए मंदिरों में श्रद्धालुओं की लाइन लग गई। हर हर महादेव के जयकारे गूंज रहे हैं। भांग-धतूरे का भोग लगाया जा रहा है। अल्मोड़ा में जागेश्वर धाम, बागेश्वर में बागनाथ, भीमताल में छोटा कैलास में महादेव की अराधना के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। हल्‍द्वानी के कालीचौड़, कालूसाई, पिपलेश्वर, पंचेश्वर, नंदेश्वर, बृज विहार, बेलबाबा, सत्यनारायण मंदिर, सिद्धेश्वर, शीतलाहाट, लटूरिया बाबा, नवाबी रोड, शीशमहल, दमुवाढूंगा के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंच रही है। कई स्थानों पर भंडारे का भी आयोजन किया गया है। पिपलेश्वर और पर्वतेश्वर महादेव मंदिर में प्रात: रुद्राभिषेक के बाद ब्राह्मणों ने मृत्युंजय जाप किया।

बता दें कि भगवान शिव की अपार शक्ति और भक्ति का पर्व महाशिवरात्रि हर साल फाल्‍गुन मास के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है, इस साल यह तिथि पहली मार्च को पड़ी है। पौरााणिक मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शिव और पार्वतीजी की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है और उन्‍हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं, उन्‍हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं। इस दिन कई लोग धार्मिक अनुष्‍ठान और रुद्राभिषेक व महा महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हैं। मान्‍यता है कि इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जप करने का विशेष महत्‍व होता है। मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन अधिकांश घरों में लोग शिवजी का व्रत करते हैं और शाम को फलाहार करके व्रत पूरा करते हैं। कई स्‍थानों पर शिव बारात निकाली जाती है।

बेलबाबा मंदिर में पुलिसकर्मी तैनात

रामपुर रोड स्थित बेलबाबा मंदिर में पुलिस को लाइन लगवाकर शिव भक्तों को मंदिर में प्रवेश कराना पड़ा। यहां पुलिस और डाग स्क्वायड से भी विशेष सुरक्षा रही। महंत बाला गिरि के निर्देशन में अध्यक्ष ईश्वरी दत्त सुयाल, मोहन सिंह फर्त्याल, देवेंद्र सिंह, कृष्ण चंद्र जोशी, गोपाल पांडे, सतनाम सिंह, प्रधान मोहन नेगी, कृपाल सिंह रजवार, ललित मोहन भट्ट आदि व्यवस्थाओं में लगे रहे। इस मौके पर प्रसाद भी बांटा गया। शिवालयों में बेलपत्री से भगवान शिव का पूजन किया गया। अधिकांश लोग बेलपत्री और गंगाजल लेकर पूजा अर्चना करने गए थे।

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