हल्द्वानी में नहीं चलेगा बुलडोजर, SC ने मानवीय एंगल को माना आधार, जानें मामले की 10 बड़ी बातें
नई दिल्ली। उत्तराखंड के हल्द्वानी में बनभूलपुरा व गफूर बस्ती में बुलडोजर चलाने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट अभी और सुनवाई करेगा। रेलवे ने इस जमीन पर 50000 लोगों द्वारा कब्जा करने की बात कही है। उन्होंने इसी को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया था, जहां जमीन से कब्जा हटाने की बात कही गई थी। सुनवाई के दौरान आज शीर्ष न्यायालय ने मानवीय एंगल को देखते हुए फिलहाल बुलडोजर न चलाने का आदेश दिया है। अब मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी। कोर्ट द्वारा कई बाते इस सुनवाई में कही गई, आइए जानें मामलें से जुड़ी 10 बड़ी बातें..
- सुप्रीम कोर्ट ने आज मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में मानवीय एंगल जुड़ा है और बुलडोजर चलाकर एकदम सभी 50 हजार लोग कैसे हटेंगे।
- शीर्ष न्यायालय ने आगे उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि वे इस मामले में अभी और सुनवाई करेंगे और 7 फरवरी की अगली तारीख भी दी।
- सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि रातोंरात 50 हजार लोग आखिर कैसे हटाए जा सकते हैं।
- कोर्ट ने मामले में रेलवे और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
- न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा कि यह एक ‘मानवीय मुद्दा’ है और पुनर्वास योजना जैसे कुछ व्यावहारिक समाधान खोजने की जरूरत है।
- उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने फैसला आने पर कहा कि वे इस बात पर कायम है कि यह रेलवे की जमीन है। धामी ने कहा कि हम कोर्ट के आदेश के अनुसार आगे बढ़ेंगे।
7.उच्च न्यायालय ने पिछले साल 20 दिसंबर को हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की अतिक्रमण की गई जमीन पर निर्माण को गिराने का आदेश दिया था।
8.रेलवे के आदेश के अनुसार अतिक्रमणकारियों को एक सप्ताह का नोटिस देने के बाद अतिक्रमणों को तोड़ने की बात कही गई थी।। 9.SC में निवासियों द्वारा दाखिल अर्जी में कहा गया था कि उच्च न्यायालय ने विवादित आदेश पारित करने में गंभीर गलती की है। याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं सहित कई लोगों के मामले जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अभी तक लंबित हैं।
10.बता दें कि बनभूलपुरा में रेलवे की कथित अतिक्रमित 29 एकड़ जमीन पर धार्मिक स्थल, स्कूल, व्यापारिक प्रतिष्ठान और आवास हैं।
स्रोत इंटरनेट मीडिया
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