कांग्रेस में फिर रार की संभावना नेता प्रतिपक्ष सहित लगभग सभी पद कुमाऊं को:प्रीतम सिंह को एक और झटका

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अजय अनेजा

उत्तराखंड-हल्द्वानी नैनीताल-

विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस उत्तराखंड ने संगठन में बड़ा फेरबदल किया है। पार्टी हाई कमान ने करण माहरा (Karan Mahara ) को प्रदेश अध्यक्ष, यशपाल आर्य (Yashpal Arya) को नेता प्रतिपक्ष और भुवन चंद कापड़ी (Bhuvan Chand Kapari) को उपनेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। हाई कमान के इस फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) और न ही पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह (Pritam Singh) का प्रभाव नजर आ रहा है। यशपाल जहां दोनों ही खेमों में फिट बैठते हैं वहीं माहरा और कापड़ी का नाम सीधे-सीधे किसी किसी गुट में नहीं आया है। हालांकि प्रीतम सिंह समर्थकों को बड़ा झटका लगा है। माना जा रहा था कि हाईकमान प्रीतम को ही दोबारा नेता प्रतिपक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपेंगा।

करण माहरा

अल्मोड़ा जिले की रानीखेत सीट से दो बार विधायक रहे करण माहरा पर भरोसा जताते हुए कांग्रेस हाई कमान ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। इस चुनाव में करण रानीखेत विधानसभी सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार प्रमोद नैनवाल से पराजित हुए हैं। चुनाव में जहां प्रमोद को 20352 वोट वहीं करण माहरा को 17868 मत मिले। रानीखेत सीट के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो अब तक यहां चार चुनाव हुए हैं। दो बार यहां से कांग्रेस से करण माहरा विधायक चुने जा चुके हैं। यानी यहां दो बार कांग्रेस तो दो बार भाजपा विजयी हुई है। साल 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में मौजूदा केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट ने यहां से जीत हासिल की थी। इसके बाद 2007 में कांग्रेस से करण सिंह माहरा को यहां की जनता ने कुर्सी पर बैठाया। वहीं, 2012 में भाजपा से अजय भट्ट ने फिर से यहां बाजी मारी और जनता का दिल जीता। पिछले 2017 में फिर करण जीतकर विधानसभा पहुंचे। महारा इसके पहले उप नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं।

यशपाल आर्य  

यशपाल आर्य की राजनीतिक पारी 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता एनडी तिवारी से मुलाकात के बाद शुरू हुई। तब उन्हें नैनीताल के देवलचौर गांव में बूथ एजेंट बनाया गया था। 1984 में यशपाल अपने गांव में ग्राम प्रधान चुने गए। उसके बाद उन्हें नैनीताल का जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1989 में यशपाल खटीमा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। 1991 के चुनाव में उन्हें हर का सामना करना पड़ा लेकिन 1993 में वे पुन: जीत कर लौटे। 1996 में उन्हें फिर खटीमा से हार का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद के किसी भी चुनाव में उन्हें हार का मुंह नहीं देखना पड़ा। आर्य 2012 में मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार बने। लेकिन अंतिम समय में विजय बहुगुणा ने बाजी मार ली। वर्ष 2002 और 2007 में वे आरक्षित सीट मुक्तेश्वर और 2012 में बाजपुर से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। 2017 में चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल होने के बाद वे बाजपुर से दोबारा विधायक चुने गए। कुल सात बार विधायक रहे आर्य उत्तराखंड में एक बड़े दलित नेता के रूप में स्थापित हैं। वर्ष 2007 से 2014 तक यशपाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे। वर्ष 2002 में यशपाल विधानसभा अध्यक्ष बने। 2012 में कांग्रेस के पुन: सत्ता में आने पर विजय बहुगुणा सरकार में उन्हें सिंचाई, राजस्व और तकनीकी शिक्षा विभाग मिले। 2017 में भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा सरकार में वे परिवहन, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण और आबकारी विभागों के मंत्री रहे।

भुवन कापड़ी

खटीमा सीट पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हराने वाले युवा कांग्रेस नेता भुवन कापड़ी इस विधान सभा चुनाव से चर्चा में आए। ऐसे में पार्टी में भुवन कापड़ी का कद बढ़ा गया। कापड़ी उत्तराखंड में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तराखंड यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष और प्रदेश कांग्रेस में जनरल सेक्रेटरी के पद पर भी रह चुके हैं। युवाओं के बीच लोकप्रिय भुवन चंद कापड़ी की अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। वह छात्रसंघ की राजनीति से निकले हैं। वहीं अब हाई कमान ने उन्हें उप नेता प्रतिपक्ष बनाकर पार्टी में उनका कद बढ़ाया है।

सभी पद कुमाऊं के हिस्से

संगठन के बदलाव में गढ़वाल को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी कुमाऊं के ही नेताओं को मिली है। करण माहरा जहां रानीखेत से दो बार विधायक चुने जा चुक हैं वहीं यशपाल आर्य बाजपुर से विधायक, जबकि भुवन चंद खंडूड़ी पहली बार खटीमा सीट से विधायक चुने गए हैं। संगठन में गढ़वाल को प्रतिनिधित्व न मिलने की बात संगठन में विवाद पैदा कर सकती है।

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