(बड़ी खबर) इनमें से कोई एक हो सकता है उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री

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संजय जोशी

भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड में मुख्यमंत्री चेहरे के चयन को लेकर हमेशा चौंकाती रही है। अतीत में देखें तो उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक जैसे राज्यों में पार्टी हाई कमान ने नए चेहरों को प्रोजेक्ट किया है। चर्चा में रहने वाले नाम गायब हो जाते हैं।

बात उत्तराखंड की करें तो 2017 के चुनाव में मोदी लहर के दौरान पार्टी को जब प्रचंड बहुमत मिला तब भी सीएम चेहरे को लेकर नाम तय नहीं था। सतपल महराज, हरक सिंह रावत, धन सिंह रावत जैसे कई नाम चर्चा में रहे लेकिन इन सभी को दरकिनार पार्टी ने अंतत: त्रिवेन्द सिंह रावत को विधायक दल नेता बनाया। वहीं बीते साल तीन राज्यों में जब चार नए मुख्यंमत्री चेहरे बदले तब भी चर्चा में रहने वाले नाम गायब थे और नए चेहरों को तवज्जो दी गई।

इन नए चेहरों को पार्टी ने सौंपी जिम्मेदारी

भाजपा ने मार्च 2021 में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदलकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप सभी को चौंका दिया। लेकिन चार महीने बाद ही तीरथ सिंह रावत को भी पार्टी ने हटा दिया। उनकी जगह भी जब नए नामों पर विचार शुरू हुआ तो चर्चा में रहने वाले नाम गायब हो गए और युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना दिया। जबकि धामी महज दो बार के विधायक थे और कभी मंत्रिमंडल तक में उन्हें जगह नहीं मिली थी। इसके बाद जुलाई में कर्नाटक में पार्टी ने बीएस येदियुरप्पा को हटाकर बसवराज बोम्मई को राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया। वहीं गुजरात में विजय रुपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी गई तो हर कोई स्तब्ध रह गया। इसके पहले 2017 के चुनावों में भी मुख्यमंत्री पद पर नए चेहरों को सामने लाकर पार्टी ने सबको चौंकाया था।

इसलिए नए चेहरे को सामने लाती है भाजपा

अब तक ज्यादातर राज्यों में भाजपा ने नए सीएम फेस को आगे कर सभी को चौंकाया है। चाहे वह हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हों, कर्नाटक में बसवराज बोम्मई या फिर उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी अथवा गुजरात में भूपेन्द्र पटेल हों। इसमें से कोई भी नाम ऐसा नहीं था जो सीएम बनने की रेस में आगे चल रहा हो। राजनीतिक विशेषज्ञाें का कहना है कि भाजपा में अनुशासन को प्राथमिकता पर रखा जाता है। पार्टी लाइन के खिलाफ चलने वालों पर जहां सख्त कार्रवाई होती है वहीं एक अदने से कार्यकर्ता तक भी ये मैसेज पहुंचाया जाता है कि वह पार्टी के लिए कितनी अहमियत रखता है। इसीलिए भाजपा ऐसे चेहरों को सामने लाती है जिससे संगठन में यह बात जाए कि काेई भी शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच सकता है। इसके लिए जरूरी है कि पार्टी हित में संगठन को मजबूत बनाने के लिए काम किया जाए। पीएम मोदी ने भी दूसरी बार सत्ता में आने के बाद सांसदों को स्पष्ट संदेश दे दिया था, पार्टी की नजर सब पर है, इसके लिए खुद का नाम रेस में आगे लाने की जरूरत नहीं है।

फिलहाल उत्तराखंड में ये नाम हैं चर्चा में

उत्तराखंड में नए सीएम के लिए श्रीनगर सीट से विधायक और निवर्तमान मंत्री धन सिंह रावत, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, केंद्रीय राज्य रक्षा एवं पर्यटन मंत्री अजय भट्ट, महाराष्ट्र के राज्यपाल और पूर्व सीएम भगत सिंह काेश्यार, पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्र में मंत्री रहे डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक समेत मंत्री रहे सतपाल महाराज महराज के नाम को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। निवर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हारने के बाद अब नए मुख्यमंत्री को लेकर ये तमाम नाम रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। हालांकि कुछ पार्टी विधायकों ने सीएम धामी को पुन: उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है और उनके लिए अपनी सीट छोड़ने का भी प्रस्ताव रखा है। हालांकि उत्तराखंड की कमान कौन संभालेगा इस पर अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान को लेना है। पार्टी ने विधायक दल के नए नेता के चुनाव के लिए केन्द्रीय मंत्री पीयूष गाेयल और धमेन्द्र प्रधान को पर्यवेक्षक बनाया है।

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