हादसे रोकने को परिवहन विभाग लापरवाह चालकों पर ऐसे कसेगा शिकंजा, पढ़िए

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हल्द्वानी : Road Safety with Jagran: सड़क पर लोगों की सुरक्षा को लेकर प्रयास तो हुए लेकिन काफी कुछ करना अभी बाकी है। ओवरलोडिंग, तेज रफ्तार, लापरवाही भरे अंदाज में वाहन चलाकर खुद के साथ दूसरों की जान भी जोखिम में डालने वालों की निगरानी बेहद जरूरी है। दैनिक जागरण के सड़क सुरक्षा अभियान के तहत इन तमाम खामियों पर रिपोर्ट तैयार की गई थी। सड़क सुरक्षा को लेकर परिवहन विभाग की भी अहम भूमिका है। लिहाजा, तमाम मुद्दों को लेकर आरटीओ प्रवर्तन नंदकिशोर से बातचीत कर समाधान की तरफ बढ़ने का प्रयास किया गया। पेश है बातचीत के मुख्य अंश।

सवाल : वाहनों की संख्या के साथ नियम तोड़ने वालों के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं। परिवहन विभाग ने क्या कार्रवाई की?

जवाब : हल्द्वानी संभाग के तहत नैनीताल, ऊधम सिंह नगर व चंपावत जिला आता है। इस साल अक्टूबर तक 23535 चालान हुए हैं। इसमें 8130 का आंकड़ा नैनीताल जिले का है। रूटीन के अलावा विशेष अभियान चलाकर भी वाहनों को चेक किया जाता है। स्कूली वाहनों को खासा फोकस रहता है।

सवाल : चालान के बाद भी लोग नहीं सुधरे। काउंसलिंग की जरूरत है?

जवाब : पहले हेलमेट, ओवरलोडिंग आदि मामले में चालान भुगतने को आए व्यक्ति की एक अलग कक्ष में काउंसलिंग भी की जाती थी। अब आनलाइन भुगतान की व्यवस्था होने से लोग बेहद कम आएंगे। इसलिए चालान काटने के बाद चालक को मौके पर ही समझाया जाएगा।

सवाल : कोई रांग साइड दिखा, कहीं एक बाइक पर तीन। लोग जागरूक क्यों नहीं हैं?

जवाब : हर स्तर पर जागरूकता के प्रयास करते हैं। स्कूलों में किताबें उपलब्ध करवाई हैं, ताकि शिक्षक बच्चों को नियमों के बारे में पढ़ाएं। शिविर व कार्यशाला भी आयोजित होती है।

प्राथमिक लाइसेंस के लिए आनलाइन टेस्ट और कार लाइसेंस के लिए गाड़ी चलवाकर देखी जाती है। लोगों को भी समझना होगा कि बेफिक्री और लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती है।

सवाल : साइन बोर्ड, डिवाइडर और पैराफिट गायब हैं। सड़क पर टूटते नियमों को जोड़ने में परिवहन विभाग की क्या भूमिका है?

जवाब : इस तरह के काम सड़क निर्माण करने वाली एजेंसी की होती है। चेकिंग के दौरान नजर पड़ने पर संबंधित विभाग को पत्र भी भेजा जाता है। वर्तमान स्थिति का आकलन करने के बाद रिमाइंडर करवाया जाएगा। सुरक्षा बैठक में भी इस मुद्दे को रखेंगे।

सवाल : बेपरवाह चालकों के मौके पर नहीं पकड़े जाने पर विभाग के पास क्या कोई और विकल्प है?

जवाब: वाहनों में जीपीएस लगने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। मुख्यालय के निर्देशानुसार आगे हल्द्वानी में भी जीपीएस माॅनीटरिंग सेंटर बनना है। जीपीएस से वाहन को ट्रेस किया जा सकता है। परिवहन विभाग जान सकेगा कि यह गाड़ी अक्सर तेज गति में होती है या फिर चालक आदतन लापरवाह है। यहां मानीटरिंग सेंटर बनने पर निगरानी-कार्रवाई दोनों का ग्राफ बढ़ेगा।

सवाल : नेशनल हाईवे पर रात में दबाव ज्यादा होता है। परिवहन विभाग कैसे इस चुनौती से निपटेगा?

जवाब : टास्क फोर्स। ऊधम सिंह नगर में तीन और हल्द्वानी में एक टास्क फोर्स के गठन के आदेश हो चुके हैं। चालक, तीन सिपाही और एक अधिकारी रहेंगे। शिफ्ट के हिसाब 24 घंटे यह लोग मुख्य मार्ग पर वाहनों को चेक करेंगे। वाहन व अन्य संसाधनों का अप्रूवल मिलते ही काफी बदलाव देखने को मिलेगा।

सवाल : पर्वतीय क्षेत्र में चेकिंग टीम की कमी से हादसों की आशंका रहती है। क्या योजना है?

जवाब : वरिष्ठ प्रर्वतन पर्यवेक्षक का पद पहाड़ की दुर्गम तहसीलों के लिए ही सृजित किया गया है। सीपीयू की तरह बाइक से ये लोग चेकिंग व चालान करेंगे। फिलहाल पहले बैच का दून में प्रशिक्षण चल रहा है। उम्मीद है कि जल्द इन्हें तहसीलवार तैनाती मिल जाएगी।

सवाल : बॉर्डर के भीतर घुसने वाली गाड़ियों की जानकारी कैसे रखेंगे? हादसे के बाद इन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है।

जवाब : हर तरह के वाहन ऊधम सिंह नगर सीमा से ही कुमाऊं में घुसते हैं। जसपुर, रुद्रपुर, किच्छा और मझोला बॉर्डर पर हाईटेक कैमरे लगने का प्रस्ताव मुख्यालय पास कर चुका है। इन कैमरों का फोकस नंबर प्लेट पर होगा। जिससे उस वाहन की पूरी डिटेल हम निकाल लेंगे। टैक्स, परमिट, बीमा आदि की वैधता का भी पता चलेगा।

स्त्रोत इंटरनेट मीडिया

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