प्रतिभावान छात्र ओमकार बिष्ट जगा रहे है शिक्षा की अलख। गरीब बच्चों को दे रहे हैं मुफ्त शिक्षा

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  • नाना नानी के घर रहकर स्वयं भी करते हैं पढ़ाई।
  • प्रतिदिन 6 से 7 घंटे मुफ्त पढ़ाते हैं गरीब बच्चों को।
  • शिक्षा को मानते हैं महादान।

पिथौरागढ की धरती पर ओमकार बिष्ट शिक्षा की अलख जगा रहे है जहाँ शिक्षा को आज लोगों ने व्यवसाय बना डाला है, वहीं प्रतिभावान युवा छात्र ओंमकार बिष्ट ने शिक्षा को महादान मानकर गरीब असहाय बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने का बीड़ा उठाया है और शिक्षा की अलख जगा रहे हैं।

उन्होंने गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ा कर मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया है। इन्होंने जब शिक्षा की अलख जगाई तो समाज के कुछ जागरूक लोगों ने इन्हें सम्मानित भी किया। मूल रुप से जनपद चंपावत के निवासी श्री बिष्ट इन दिनों अपने नाना- नानी के साथ पिथौरागढ में रहकर पढ़ाई का कार्य भी करते हैं साथ ही उन बच्चों को शिक्षा देने का प्रयास करते हैं ।जिनके मन में पढ़ाई की तो बहुत लगन है लेकिन आर्थिक समस्याओं के चलते वह आगे नहीं बढ़ पाते हैं ऐसे छात्रों को श्री बिष्ट स्वयं घंटों प्रतिदिन निःशुल्क पढ़ाते भी हैं और जहां तक संभव हो सके उनकी आर्थिक मदद भी करवाते हैं। हालांकि वह एक सामान्य परिवार से हैं लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा है इसी कारण संपूर्ण क्षेत्र में उनकी विशेष पहचान है हालांकि प्रचार प्रसार से वह दूर ही रहना चाहते हैं और निष्काम भावना के साथ अपने कर्तव्य का पालन करना चाहते हैं।

वह अपना प्रेरणा सोत्र अपने मामा स्वर्गीय श्री मनोज पंत को मानते हैं उल्लेखनीय है कि बीते कुछ वर्षों पूर्व एक सड़क दुर्घटना में पिथौरागढ़ के होनहार छात्र मनोज पंत की असमय मृत्यु हो गई थी, मनोज पंत निरंतर गरीब असहाय व जरुरतमंदों की मदद के साथ- साथ बच्चों को शिक्षा देने का निशुल्क कार्य करते थे। अपने मामा से ही प्रेरणा लेकर ओमकार बिष्ट अंकित भाई भी 16 से 18 घंटे प्रतिदिन छात्रों को पढ़ाते हैं । उनको बेहतर शिक्षा प्रदान करते हैं उनके इस समर्पण की भावना को देखते हुए अनेकों बार उन्हें पुरस्कृत भी किया जा चुका है। आध्यात्मिक क्षेत्र में भी उनकी विशेष रुची है समय समय पर देव दरबारों की पैदल यात्राओं के माध्यम से उन्होंने समाज में लोक कल्याण का सुनहरा संदेश दिया है। छोटी सी आयु में लोक कल्याण के उन्होंने जो विलक्षण कार्य किए हैं वह सर्वथा प्रशंसनीय है। अंकित अर्थात् ओमकार के पिता श्री सुरेश चंद्र बिष्ट भी शिक्षा जगत में एक बेहतर शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध हैं, माता अनीता बिष्ट हालांकि ग्रहणी है किंतु समाज सेवा के क्षेत्र में उनका भी निरंतर अतुलनीय योगदान रहता है। ओंमकार बिष्ट के नाना श्री पूरन चंद्र पंत एवं नानी श्रीमती गीता पंत सदैव ही परोपकार के कार्यों में संलग्न रहते हैं तथा अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरुरतमंदों की मदद को हमेशा तत्पर रहते हैं।

अंकित के लोक कल्याणकारी कार्यों में वह सदैव उसकी मदद करते रहते हैं साथ ही उसका मार्गदर्शन भी। बारहाल एक प्रतिभावान छात्र जिसके हृदय में शिक्षा की ज्योति जलाने की एक विशेष लगन है एक छात्र होने के साथ-साथ गरीब असहाय छात्रों को आगे बढ़ाने की लगन है ऐसे ओंमकार बिष्ट अंकित भाई से समाज के लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए ताकि घर -घर शिक्षा की अलख जगे और कोई भी अनपढ़ ना रहे हर गरीब छात्र-छात्राओं के पढ़ने का सपना पूरा हो।

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