वाह रे राजनीति :चुनाव से पहले शक्ति प्रदर्शन चुनाव के बाद भक्ति प्रदर्शन
अजय अनेजा
सीधी सच्ची बातें..चुनाव से पहले शक्ति प्रदर्शन चुनाव के बाद भक्ति प्रदर्शन..
कपिल पँवारअसिस्टेन्ट प्रोफेसर,हिन्दी विभाग,हेनब गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय,श्रीनगर (गढ़वाल)चुनाव से पहले शक्ति प्रदर्शन होता है और चुनाव के बाद भक्ति प्रदर्शन।इन दिनों प्रदेश में वही दौर चल रहा है।जो विधायक जी का करीब है वह फिलहाल अंतर्ध्यान होकर मौके की तलाश में है,जो नेता जी के करीबी होने की काशिश कर रहा है,वह किसी तरह नेता जी के साथ फोटो खींचकर जनता के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है। यही समय हे जब उसकी भक्ति प्रदर्शन से उसका कम से कम पाँच वर्ष का भविष्य सुरक्षित हो सकता है।विधायक जी के साथ तरह-तरह की फोटो आ रही है। कई घंटो के बाद उसे विधायक जी से मिलने का मौका मिल रहा है। विधायक जी जनता के सामने कहते है- ‘‘तुम शाम को मिलना’’ जनता समझती है विधायक जी का ख़ास है,लेकिन बेचारा तीन दिन से मिल नही पा रहा।वह तो दिन होते ही विधायक से ठीक से मिलने के मिशन में निकलता है लेकिन किसी तरह विधायक की नजरों के सामने पहुंचता है तो जवाब मिलता है- ‘‘शाम को मिलना तुम अलग से’’ जनता के सामने एक पल की खुशी मिलती है,लेकिन फिर वही हताशा। झल्लाकर दूर जाते हुए कहता है तीन दिन तो हो गये आखिर मिलोगें कब?आखिरकार तीन दिन बाद जब विधायक जी मिलते हैं तो वह बड़ी विनम्रता से विधायक जी को मुरझाये हुए पुष्पों का एक पुष्पगुच्छ देते हुई सोशल मीडिया में फोटो डालता है–” माननीय विधायक जी को जीत की बधाई दी और क्षेत्र की समस्याओं से रूबरू करवाया, माननीय विधायक जी ने क्षेत्र की जनता के हित में कार्य करने का आश्वासन दिया।’’
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