विश्व बैंक की रिपोर्ट अनुसार भारत में पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं जाती हैं काम पर
![](https://janmanjagran.com/wp-content/uploads/2022/12/11_12_2022-world_bank_report_o_women_travelling_23253168-1024x576.jpg)
![](https://janmanjagran.com/wp-content/uploads/2023/08/Ad-NagarPanchayatLalkuan.jpeg)
नई दिल्ली। महिलाएं भारतीय शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करने में सबसे आगे हैं। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में ये बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक करीब 84 फीसदी महिलाएं पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आवागमन करती हैं।
![](https://janmanjagran.com/wp-content/uploads/2023/11/Ad-SanjayJoshi.jpeg)
बता दें कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ‘एनेबलिंग जेंडर रेस्पॉन्सिव अर्बन मोबिलिटी एंड पब्लिक स्पेसेज इन इंडिया’ में बताया गया है कि पुरुष और महिलाओं के हर दिन यात्रा करने का क्या पैटर्न है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 45.4 फीसदी महिलाएं हर दिन काम पर जाती है जहां 27.4 प्रतिशत पुरूष ही यात्रा करते हैं।
महिलाएं सस्ते विकल्प पर देती हैं ध्यान
वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाएं यात्रा करने के दौरान सस्ते विकल्प पर ज्यादा धयान देती हैं, इसलिए वह अक्सर बस से ट्रेवल करती हैं। वहीं महिलाएं धीरे चलने वाले वाहनों में ट्रेवल करना पसंद करती हैं क्योंकि तेज चलने वाले वाहन अधिक किराया वसूल करते हैं। इसके अलावा सुरक्षा कारणों से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में महिलाएं ट्रेवल करने से बचती हैं और इसलिए महिलाएं कम ही जगहों पर दिखाई देती हैं।
रिपोर्ट को मुंबई में 6,048 महिलाओं से पूछे गए जवाबों के आधार पर 2019 विश्व बैंक के सर्वे की मदद से डिज़ाइन किया गया है। उस सर्वे में पाया गया था कि 2004 और 2019 के बीच पुरुषों ने काम पर जाने के लिए दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल किया, जबकि महिलाओं ने ऑटो-रिक्शा या टैक्सी का इस्तेमाल किया।
इसमें व्यावहारिक उपकरण शामिल हैं जो भारत में महिलाओं के लिए सुरक्षित और सार्वजनिक स्थानों और सार्वजनिक परिवहन को सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए नीति निर्माताओं के साथ-साथ निजी या समुदाय-आधारित संगठनों की एक विस्तृत श्रृंखला को सूचित कर सकते हैं।
2019-20 में कम था महिला श्रम बल का प्रतिशत
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को परंपरागत रूप से महिलाओं की सुरक्षा और उनकी विशिष्ट यात्रा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन नहीं किया गया है। यह काम, शिक्षा और जीवन विकल्पों तक उनकी पहुंच को गंभीर रूप से सीमित कर देता है। भारत में 2019-20 में 22.8 प्रतिशत के साथ विश्व स्तर पर सबसे कम महिला श्रम बल भागीदारी दर थी।
रिपोर्ट में परिवहन और सार्वजनिक स्थानों में कई तरह की दिक्कतों की बात भी सामने आई है, जिसमें पर्याप्त स्ट्रीटलाइटिंग, चलने और साइकिल चलाने के लिए बेहतर ट्रैक शामिल हैं, जो विशेष रूप से उन महिलाओं को लाभान्वित करते हैं जो अधिकांश समय गैर-मोटर चालित परिवहन का उपयोग करती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कम किराया नीतियां बनाने से महिलाओं और अन्य लिंग के व्यक्तियों के लिए सवारियां बढ़ सकती हैं। एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करने से यौन उत्पीड़न की शिकायतों को तेजी से ट्रैक करने में मदद मिल सकती है।
सुरक्षा के लिए लंबे रूट को करती है पसंद
महिलाओं के लिए शहरों में रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध न हो पाने के लिए अक्सर यह दलील भी दी जाती है कि सार्वजनिक परिवहन उनके अनुकूल नहीं है। इसी तरह शिक्षा के मामले में भी वे पसंदीदा कॉलेजों अथवा संस्थानों में कई बार प्रवेश नहीं ले पातीं हैं, क्योंकि उनके लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करना सुरक्षित नहीं माना जाता है। एक अन्य उल्लेखनीय पहलू यह है कि महिलाओं को अपनी घरेलू जिम्मेदारियों से तालमेल बिठाते हुए अपनी यात्रा प्लान करनी होती है, इसलिए उनके लिए समय के लिहाज से पब्लिक ट्रांसपोर्ट को ज्यादा अनुकूल होना जरूरी होता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि महिलाएं अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अक्सर अधिक सुरक्षित और लंबे रूट को पसंद करती हैं, जो उनकी जेब पर भी भारी पड़ता है।
50 केस स्टडी पर आधारित है रिपोर्ट
विश्व बैंक ने देश-विदेश में किए गए अलग-अलग सर्वे, शहरों में ट्रांसपोर्ट सुधारने के लिए की गई पहल के 50 मामलों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है। ऐसा ही एक अध्ययन दिल्ली का है, जिसके अनुसार 84 प्रतिशत छात्राओं ने कहा कि उन्हें पब्लिक ट्रांसपोर्ट में खराब व्यवहार का शिकार होना पड़ा और वे हर दिन सुरक्षित सफर के लिए 27 मिनट ज्यादा यात्रा करने के लिए तैयार थीं। उन्हें लंबे रूट के कारण साल में लगभग बीस हजार रुपये ज्यादा खर्च करने पड़े। मेट्रो को सबसे ज्यादा महिलाओं ने तरजीह दी और उसमें भी 80 प्रतिशत ने अपने लिए आरक्षित डिब्बे में सफर किया।
शहरी परिवहन प्रणाली में सुधार की जरूरत
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में चार तरीके से महिलाओं के लिए शहरी परिवहन प्रणाली में सुधार की जरूरत जताई है। सबसे पहले जमीनी स्थिति को महिलाओं के नजरिए से समझा जाए। दूसरा, नीतियां और विकास योजनाओं में महिलाओं की चिंता झलके। इन्हें बनाने में महिलाओं की भूमिका हो। तीसरा, सार्वजनिक परिवहन से जुड़े सभी लोगों की महिलाओं के नजरिए से अनिवार्य ट्रेनिंग हो। कंडक्टर से लेकर स्थानीय कांस्टेबल तक को पता होना चाहिए कि महिलाओं की जरूरत क्या है। चौथा, महिलाओं के लिए अनुकूल इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं में निवेश को बढ़ाया जाए। उदाहरण के लिए अगर कोई नया बस स्टाप बनाया जाता है तो उसमें पर्याप्त लाइटिंग, एसओएस बटन, वाशरूम आदि जरूर बनाया जाना चाहिए। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कुछ और सुझाव भी दिए गए हैं, जैसे महिलाओं की शिकायतों के निपटारे के लिए प्रभावी तंत्र बनाना और उनके लिए गुंजाइश के आधार पर किराए में छूट जैसे उपायों को बढ़ावा देना।
स्रोत इंटरनेट मीडिया
![Ad](https://janmanjagran.com/wp-content/uploads/2022/10/Ad-Bombay-Masala.jpeg)
लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 वॉट्स्ऐप पर हमारे समाचार ग्रुप से जुड़ें
👉 फ़ेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज लाइक/फॉलो करें