मुस्लिम मतदाताओं के मन में कौन ? BJP, AAP, या कांग्रेस, गुजरात में चुनाव के बाद सर्वे ने चौंकाया

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गुजरात में चुनाव के बाद इस चीज का सर्वे किया गया है कि इस बार किस जाति-वर्ग और समुदायों के मतदाताओं ने किस दल के प्रति कितना समर्थन दिखाया है। यही नहीं विभिन्न आयु वर्ग के वोटरों में किस दल के प्रति ज्यादा रुझान दिखा है।
इस बात में कोई शक की गुंजाइश नहीं कि भाजपा ने लगभग सभी जाति- वर्गों को अपनी ओर ज्यादा आकर्षित किया है, लेकिन फिर भी विभिन्न जातियों, समुदायओं और आयु वर्गों से उसे मिले समर्थन में अंतर है। जैसे कि युवाओं और मध्यम आयु वर्ग के वोटरों के बीच भाजपा की लोकप्रियता अप्रत्याशित देखी गई है, जो कि चुनाव से पहले के कुछ सर्वे से ठीक अलग है।

भाजपा का सभी जातियों में बढ़ा समर्थन- सर्वे


गुजरात में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी जीत मिली है तो जाहिर है कि उसे लगभग सभी जातियों, समुदायों और वर्गों का व्यापक समर्थन मिला है। चुनाव परिणाम आने के बाद लोकनीति-सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) ने विस्तार से एक सर्वे किया है, जिससे पता चला है कि बीजेपी को मिले विशाल जनसमर्थन में किस जाति और समुदायों का कितना सहयोग रहा है। इससे पता चला है कि बीजेपी को ओबीसी, पाटीदारों और ऊंची जातियों के मतदाताओं का वोट बहुत बड़ी तादाद में हासिल हुआ है। इसी तरह से दलितों और आदिवासियों के मामले में भी भारतीय जनता पार्टी को 2017 के चुनाव के मुकाबले बहुत ज्यादा वोट मिले हैं।

कांग्रेस का हर जाति में घटा समर्थन-सर्वे


यदि 2017 को मानक मानें तो भाजपा ने इस बार गुजरात में मुसलमानों को छोड़कर सभी जातियों और समुदायों का ज्यादा समर्थन पाया है। जबकि, इसकी तुलना में कांग्रेस का समर्थन हर वर्ग में कम हुआ है, जिसकी एक वजह आम आदमी पार्टी भी है। मसलन आम आदमी पार्टी को ऊंची जातियों के 12% वोट मिले हैं और पाटीदारों के 15% वोट हासिल हुए हैं। जबकि, कोली समाज ने उसे सबसे अधिक सपोर्ट किया है, क्योंकि उनका 16% वोट दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के दल के हक में गया है।

पूरी तरह से ‘हिंदू’ की पार्टी बनकर उभरी भाजपा-सर्वे

गुजरात चुनाव में भाजपा एक बार फिर से असल ‘हिंदुओं’ की पार्टी बनकर उभरी है। उसे हिंदुओं की सभी जातियों में बाकी दोनों प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले काफी भारी समर्थन हासिल हुआ है। इसके पीछे बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग है, जिसमें उसने दूसरे दलों को पूरी तरह से पछाड़ दिया है। राज्य में सभी पार्टियों ने जाति-आधारित राजनीति में भरोसा किया है। मसलन, 142 सुरक्षित सीटों में से 57 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही एक ही समाज के उम्मीदवारों को टिकट दिया था। 2017 में जाति आधारित समूहों के नेताओं हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकुर की वजह से बीजेपी की हवा खराब हुई थी। इस बार भाजपा ने इस संकट को काफी हद तक पहले ही दुरुस्त कर लिया था।

युवाओं की पहली पसंद रही बीजेपी-सर्वे
इस तरह से कुल मिलाकर भाजपा ने गुजरात में इस बार सभी डेमोग्राफिक ग्रुप पर भी अपनी पकड़ मजबूत की है, हालांकि पार्टी के प्रति समर्थन के जज्बे में अंतर जरूर नजर आ रहा है। अगर विभिन्न आयु-समूहों की बात करें तो युवाओं (35 साल से कम उम्र) और मध्यम आयु वर्ग (46-55 साल) के वोटरों ने बीजेपी का दिल खोलकर साथ दिया है। वहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को सभी उम्र के वोटरों में लगभग एक ही तरह का समर्थन नजर आया है। इसी तरह ज्यादा शिक्षित वोटरों में भाजपा को ज्यादा समर्थन हासिल हुआ है तो कांग्रेस के साथ इसका उलटा हुआ है। इसी तरह शहरी और संपन्न मतदाताओं के बीच भी गांवों की तुलना में भाजपा के समर्थन का प्रतिशत ज्यादा रहा है।

मुसलमानों के बीच भाजपा की लोकप्रियता कम हुई’
अब सबसे अहम बात। 2017 के चुनाव की तुलना में बिना किसी असमंजस के भाजपा का वोट शेयर ऊंची जातियों, पाटीदारों, ओबीसी, दलित और आदिवासी हर समाज में बढ़ गया है। लेकिन, मुसलमानों के बीच पार्टी की लोकप्रियता कम से कम गुजरात में कम होती नजर आई है। क्योंकि, 2017 में गुजरात में मुसलमान मतदाताओं में भाजपा का वोट शेयर 27% था, जो कि 2022 में लगभग आधा या 14% ही रह गया है।

गुजरात में मुस्लिम वोटरों ने AAP की तुलना में BJP को चुना-सर्वे
लेकिन, मुस्लिम वोटरों के बीच आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता भारतीय जनता पार्टी से भी कम रही है। गुजरात में इस बार करीब दो-तिहाई (64%) मुसलमान वोटरों ने कांग्रेस को वोट दिया है। जबकि, आम आदमी पार्टी को वोट देने वाले हर 10 मुसलमान में से सिर्फ 1 ही मतदाता था। यानि गुजरात में मुस्लिम वोटरों के मामले में भी भारतीय जनता पार्टी आम आदमी पार्टी से ज्यादा (14%) लोकप्रिय रही है।
चुनाव के बाद हुए इस सर्वे में एक तथ्य यह भी सामने आया है कि गुजरात के मतदाताओं ने इस बार उम्मीदवारों की जगह पार्टियों के नाम पर ज्यादा वोट डाले हैं। अलबत्ता हर पार्टी के लिए उनकी चाहत का स्तर अलग-अलग है। जैसे बीजेपी को वोट देने वाले हर 100 मतदाताओं में से 70 ने पार्टी को देखकर वोटिंग की है। जबकि, आम आदमी पार्टी को वोट देने वाले ऐसे दो-तिहाई मतदाता हैं। वहीं, कांग्रेस के 100 वोटरों में से 40 ने उम्मीदवारों के नाम पर वोट किए हैं और पार्टी को देखकर वोट करने वाले मतदाता 60 हैं।

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