बड़ी खबर👉 रुद्रपुर शहर के व्यापारियों का लालच शहर में बढ़ता अतिक्रमण
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अजय अनेजा 👉 एडिटर इन चीफ
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राजीव चावला की कलम से
रुद्रपुर👉शहर के व्यापारियों का लालच ही आज उनके गले की फांस बनता जा रहा है, जब लगातार शहर के दुकानदारों को अतिक्रमण हटाने के नोटिस दिए जा रहे हैं। ऐसे में एक बड़ा प्रश्न खड़ा होता है कि आखिरकार इस पूरे जनपद में सबसे ज्यादा रुद्रपुर के व्यापारी ही अतिक्रमणकारी बन चुके हैं। व्यापारियों को सोचना होगा कि बाजार की व्यवस्था किस प्रकार सुचारू हो सके ताकि आवागमन या अन्य व्यवस्था में कोई बाधा ना हो सके ।लेकिन ऐसा पिछले कई वर्षों से नजर नहीं आता। कुछ समय पूर्व जब प्रशासन ने एक याचिका के आधार पर पूरे बाजार का अतिक्रमण ध्वस्त कर दिया था ।तब अच्छा खासा विरोध हुआ था लेकिन उसका नतीजा ढाक के तीन पात रहा था। कमोबेश यही स्थिति रोडवेज के सामने भी नजर आई कि जब प्रशासन ने पीला पंजा चलाकर एक के बाद एक तमाम दुकानों को ध्वस्त कर दिया था। अब बारी काशीपुर बायपास रोड की है। एक दुकानदार की लगभग 12 से 15 फुट की दुकान होती है और अपने लालच वह अपनी दुकान के सामने ठेले,फड खड़े करवा देता है अब यह कहना बेमानी होगा कि वह इन गरीब कहे जाने वाले ठेला व्यापारियों से प्रतिदिन के हिसाब से कितने पैसे लेता होगा। इसके अलावा बड़े-बड़े शोरूम स्वामी अपनी दुकान का शो ऑफ करने के लिए फुटपाथ से लेकर सड़क तक यहां तक की ग्रीन बेल्ट को भी पार कर बड़े-बड़े फ्लेक्सी होर्डिंग और प्रचार सामग्री लगा देते हैं। मानो की सड़क की शुरुआत इनकी दुकान से लेकर अंत उनके घर पर ही होता है ।इस सड़क पर बस उनकी दुकान या प्रतिष्ठान नजर आना चाहिए ना तो सड़क पर कोई राहगीर और ना ही कोई उपभोक्ता ।तो आखिरकार किस आधार पर यह अपनी व्यवसाय की आड़ में आम जनता के हितों से खिलवाड़ करेंगे। एक समय चंडीगढ़ की तर्ज पर बसा शहर आज पूरी तरह से जाम के झाम में फंस चुका है। शहर को छोड़ो आसपास तक ऐसी कोई गली मोहल्ला नहीं बचा जहां जाम की स्थिति पैदा ना होती हो। जिस कारण कोई न कोई व्यक्ति इस शहर को व्यवस्थित करने के लिए अपनी याचिका न्यायालय में दे देता है उसके बाद जब न्यायालय का फैसला आता है तो शहर में आपाधापी मच जाती है। ऐसे में व्यापारियों को सोचना होगा कि वह शहर के वासी हैं और शहर को दुरुस्त और व्यवस्थित रखना उनकी भी जिम्मेदारी है नहीं तो उन्हें अपनी खामियों का खामियाजा निरंतर भुगतना होगा। क्योंकि कोई भी जनप्रतिनिधि न्यायालय के आदेश की अवहेलना नहीं कर सकता चाहे किसी की भी सरकार हो। ऐसे में व्यापारियों को खुद अपनी सरकार बनना होगा और इस शहर को सुधारने के लिए एक ठोस निर्णय लेना होगा।
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