उत्तराखंड के इस मंदिर में होती है संतान प्राप्ति की कामना पूरी , दूर-दूर से आते है निसंतान जोड़ें

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देवभूमि उत्‍तराखंड में कई ऐसे मंदिर हैं, जिन्‍हें अपनी अनोखी मान्‍यताओं के लिए जाना जाता है। देश और दुनिया भर से श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ति की चाह लेकर यहां पहुंचते हैं।

उत्‍तराखंड के पौड़ी जिले में कमलेश्‍वर महादेव मंदिर स्थित है।

कमलेश्‍वर महादेव मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर हर वर्ष खड़ा दीया पूजन किया जाता है। इस पूजा में निसंतान दंपती रात भर हाथ में दीया लेकर खड़े रहते हैं और भगवान शिव से संतान की कामना करते हैं।

कैसे होता है खड़ा दीया अनुष्‍ठान?

  • गौधुली बेला पर निसंतान दंपती जलते दीये के साथ खड़े रहते हुए रातभर भगवान शिव की आराधना करते हैं।
  • अगले दिन प्रात: चार बजे महंत श्री 108 आशुतोष पुरी जी महाराज की ओर से विशेष पूजा की जाती है।
  • विशेष पूजा और भगवान शिव के अभिषेक के बाद निसंतान दंपती महंत को साक्षी मानकर उक्‍त दीपक भगवान शिव को अर्पित करते हैं।
  • इसके बाद गंगा स्नान कर वापस मंदिर में आकर हवन और गोदान किया जाता है।

कई शहरों से दंपती खड़ा दीया पूजन में भाग लेने आ रहे श्रीनगर

इस वर्ष संतान प्राप्ति की कामना को लेकर वैकुण्ठ चतुर्दशी पर्व पर कमलेश्वर महादेव मंदिर परिसर में खड़ा दीया पूजन को लेकर 176 निसंतान दंपत्तियों ने पंजीकरण कराया है।

कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत श्री 108 आशुतोष पुरी जी महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों के साथ ही दिल्ली, मुम्बई, पुणे, बुलंदशहर सहित अन्य शहरों से दंपती खड़ा दीया पूजन में भाग लेने के लिए श्रीनगर आ रहे हैं।

छह नवंबर शाम 4:18 बजे से शुरू होगा खड़ा दीया पूजन

  • पंजीकरण अभी जारी हैं।
  • छह नवंबर को शाम 4:18 बजे चतुर्दशी लग रही है, जो दूसरे दिन सात नवंबर सांय 4:18 बजे तक जारी रहेगी।
  • छह नवंबर शाम 4:18 बजे से ही खड़ा दीया पूजन भी शुरू होगा।
  • इसमें निसंतान दंपती रातभर जलता दीया हाथ में लेकर खड़े रहते हुए भगवान शिव की स्तुति करते हैं।
  • खड़ा दीया पूजन और भगवान शिव की पूजा करने को लेकर बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु कमलेश्वर महादेव मंदिर पहुंचते हैं।

शुक्रवार को श्रीनगर कोतवाल हरिओम राज चौहान ने बाजार चौकी प्रभारी रणवीर रमोला के साथ कमलेश्वर महादेव मंदिर के विभिन्न स्थलों का भ्रमण किया।

श्रद्धालुओं के प्रवेश और मंदिर से बाहर आने के मार्ग का निर्धारण के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं को लेकर भी कोतवाल ने महंत आशुतोष पुरी जी महाराज के साथ वार्ता की। कोतवाल ने कहा कि घाट क्षेत्र पर भी पुलिस की विशेष व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही पुलिस के गोताखोर भी तैनात रहेंगे।

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