तिवारी,लोशाली समुदाय के लोगों ने मनाया रक्षा बंधन, किया जनेऊ धारण

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लालकुऑं/
हरताली के अवसर कुमाऊँ की धरती पर तिवारी समुदाय के एक वर्ग द्वारा रक्षा बन्धन का पावन पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया ।
श्रावणी पूर्णमासी रक्षाबंधन के त्योहार के लिए प्रसिद्ध है।लेकिन यहाँ की धरती पर भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भी बहिनें अपने भाईयों की कलाइयों को राखी से शुशोभित करती हैं। रक्षाबन्धन सूत्र के साथ- साथ सामवेद के ब्राह्मण वह गौतम ऋषि के अनुयायियों द्वारा यज्ञोपवीत भी इसी दिन बदला जाता है।
कुमॉऊ की पावन धरा पर तिवारी, तिवाड़ी, त्रिपाठी आदि उपनामों का एक ऐसा वर्ग है।जो ‘हस्त’ नक्षत्र ‘हरताली’ तीज पर ही जनेऊ व रक्षा सूत्र धारण करते हैं। इस दिन प्रातःकाल यज्ञोपवीत धारण किया जाता है और बहनें अपने भाइयों की कलाइयों में रक्षासूत्र बांधकर उनके यशस्वी एवं मंगलमय जीवन की कामना करती हैं।
इस परम्परा के बारे में कहा जाता है। ब्रह्माजी द्वारा यज्ञोपवित वितरित किये जानें के अवसर पर इस समुदाय के प्रमुख ऋषि गौतम किसी विवाद को सुलझानें के कारण ब्रह्मा जी की सभा में नहीं पहुंच पाए थे। और ब्रह्मा जी द्वारा यज्ञोपवीत वितरित किये जानें का तय समय हस्त नक्षत्र का समय निकल गया। बाद में हस्त नक्षत्र भाद्रपद के शुल्क पक्ष की तृतीया अर्थात् हरतालीका में पड़ी तो तभी से इस समुदाय द्वारा इस दिन राखी और यज्ञोपवित धारण किया गया जो परम्परा आज भी जारी है।
इस दिन मातृ शक्तियाँ कठोर निर्जला व्रत रखकर सौभाग्य व समृद्धि की कामना करती है।पौराणिक काल से चली आ रही इस परम्परा हरताली पर पितृ तर्पण,देव तर्पण, ऋषि तर्पण भी श्रद्धा पूर्वक किए जाते हैं। साथ ही महादेव एवं महादेवी की पूजा भी की जाती है

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