सूदखोर के चंगुल में फंसे किसान ने की खुदकुशी, मृतक के बेटे ने दी ये जानकारी

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बरेली: यूपी के बरेली जिले से बेहद संवेदनशील मामला सामने आया है। जिले में एक किसान ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि सूदखोर उससे कर्ज के चुंगल में फंसा रखा था और पैसे लौटाने का दबाव बना रहा था। यहां बता दें कि कर्जदारों और उनके परिवार के लोगों को सूदखोर इस तरह से आतंकित किए रहते हैं कि इनकी शिकायत करने के लिए सामने आने की वह हिम्मत तक नहीं जुटा पाते। भले ही इस की तरह खुदकुशी करने का निर्णय ही क्यों न लेना पड़े?

मृतक के बेटे ने दी ये जानकारी

बता दें यह मामला बिथरी चैनपुर के रामनगर गांव का है। यहां के रहने वाले श्याम बाबू ने बताया कि पिता रामभरोसे ने कुछ लोगों से कर्ज ले रखा था। कर्जदार रुपए के लिए दबाव बना रहे थे। पिता के पास रुपए नहीं थे। उन्होंने कुछ लोगों से मदद मांगी लेकिन, लोगों ने इंकार कर दिया। तंग आकर पिता ने खुदकुशी कर ली। इस घटना के बारे में बिथरी इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। मृतक ने जिन लोगों से कर्ज ले रखा था। परिजनों ने इस बारे में जानकारी से इन्कार किया है।

करोड़ों का है सूद का अवैध कारोबार

आपकी जानकारी के लिए बता दें कानूनी तौर पर सूदखोरी का कारोबार करने के लिए पंजीकरण कराना आवश्यक होता है। खास बात यह है कि पंजीकरण के समय ही कारोबार के लिए रकम निर्धारित कर दी जाती है। इसके साथ ही कारोबार के लिए बनाए गए कड़े नियमों का उन्हें पालन करना पड़ता है। लेकिन इसके उलट, सूद के कई अवैध कारोबारी तो रोजाना की ब्याज दर पर कर्ज बांटते हैं। उनके गुर्गे रोज घूमकर कर्जदार से वसूली करते हैं। एक दिन ब्याज चुकता करने में असमर्थता जताने वालों के साथ मारपीट और गाली-गलौच करना इनके लिए आम बात होती है।

क्या है नियम

सूद के कारोबार को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार ने 1976 में उत्तर प्रदेश साहूकारी अधिनियम लागू किया था। इस अधिनियम में कारोबार करने के लिए नियम-कायदे लागू किए गए हैं।

– कोई भी सूदखोर बैंक के ब्याज दर से अधिक ब्याज नहीं वसूल सकता।

– किसी भी स्थिति में मूलधन से दो गुना ब्याज की वसूली नहीं हो सकती।

– वसूली के लिए सूदखोर कभी भी कर्जदार के कार्यस्थल के आसपास भी नहीं जाएगा।

– अधिनियम में कर्ज वसूली के लिए कर्जदार किसी भी तरह से शारीरिक और मानसिक उत्पीडऩ को गैर कानूनी करार दिया गया है।

– इन निर्देशों का उल्लंघन करने पर अधिनियम में कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान है।

स्रोत इंटरनेट मीडिया

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